दीर्घप्रयासेन कृतं हि वस्तु निमेषमात्रेण भजेद् विनाशम्। कर्तुं कुलालस्य तु वर्षमेकं भेत्तुं हि दण्डस्य मूहुर्तमात्रम् |
अर्थ – लम्बे समय तक कियें गये प्रयास से बनी हुई वस्तु पलक झपकते ही नष्ट हो सकती है। कुम्हार को बनाने को तो एक वर्ष लगता है। डण्डे से उसे तोडने में एक क्षण ही लगता है।
सर्जन युगोमें, विनाश क्षण में।