आजचे सुभाषित
आचारहीनं न पुनन्ति वेदा यद्यप्यधीताः सह षड्भिरङ्गैः । छन्दांस्येनं मृत्युकाले त्यजन्ति नीडं शकुन्ता इव जातपक्षाः ॥
अर्थ : शिक्षा, कल्प, निरुक्त, छंद, व्याकरण और ज्योतिष – इन छह अंगोंसहित अध्ययन किये हुए वेद भी आचारहीन मनुष्यको पवित्र नहीं करते । मृत्युकालमें आचारहीन मनुष्यको वेद वैसे ही छोड देते है, जैसे पंख उगनेपर पक्षी अपने घोंसलेको ।