आजचे सुभाषित, १० जून २०२०
जयेश्वराणां परमेश केशव प्रभो गदाशंखधरासिचक्रधृक् । प्रसूतिनाशस्थितिहेतुरीश्वर-स्त्वमेव नान्यत्परमं च यत्पदम् ॥
अर्थ : हे ब्रह्मादि ईश्वरोंके भी परम ईश्वर! हे केशव!हे शंख गदाधर! हे चक्रधारी प्रभो! आपकी जय हो।आप ही संसारकी उत्पत्ति,स्थिति और नाश के कारण हैं,तथा आप ही ईश्वर हैं और जिसे परम पद कहते हैं वह भी आपसे अतिरिक्त और कुछ नहीं है।