आजचे सुभाषित
गङ्गाधरं शशिकिशोरधरं त्रिलोकी रक्षाधरं निटिलचन्द्रधरं त्रिधारम् ।भस्मावधूलनधरं गिरिराजकन्या दिव्यावलोकनधरं वरदं प्रपद्ये ॥
अर्थ – गंगा एवं बालचन्द्र को धारण करने वाले,त्रिलोकी की रक्षा करने वाले,मस्तकपर चन्द्रमा एवं त्रिधार(गंगा)-को धारण करने वाले,भस्मका उद् धूलन करने वाले तथा पार्वती को दिव्य दृष्टि से देखने वाले,वरदाता भगवान शंकर की शरण में मैं हूँ।