कृष्टि वृष्टि समा योगा दृश्यन्ते फलसिद्धयः।
तास्तु काले प्रदृश्यन्ते नैव काले कथञ्चन ।।
अर्थ : जैसे कृषि और वृष्टि का संयोग होने से फल की सिद्धियाँ देखी जाती हैं, किंतु वे भी समय आने पर ही दिखायी पड़ती हैं, बिना समय किसी प्रकार भी नहीं, वैसे ही दैव, पुरुषार्थ और काल-ये तीनों संयुक्त होकर मनुष्य को फल देने वाले होते हैं।