धनानि भूमौ पशवः हि गोष्ठे नारि गृहद्वारि जनाः श्मशाने । देहश्चितायाम् परलोक मार्गे, धर्मानुगो गच्छति जीवः एकः ।।
अर्थ : मनुष्य का शरीर शांत होने पर, धन सम्पदा भूमि पर ही पड़ी रह जाती है, मोटर गाड़ियाँ घर में, पशु अस्तबल में रह जाते हैं , पत्नि घर के द्वार तक साथ देती है, बन्धुजन श्मशान तक साथ चलते हैं और अपनी स्वयं की देह चित्ता तक ही साथ देती है । तत्पश्चात् परलोक मार्ग पर जीव को अकेला ही जाना होता है । केवल धर्म ही उसका अनुगमन करता हुआ साथ चलता है l