उत्पन्न पश्चात्तापस्य बुध्दिर्भवति यादृशी । तादृशी यदि पूर्वास्यात् कस्य स्यान्न महोदयः ॥
अर्थ : गलती करने पर जो पछतावा होता है, यदि ऐसी बुध्दि गलती करने से पहले आ जाए, तो भला कौन उन्नति नहीं करेगा और किसे पछताना पडेगा ?
उत्पन्न पश्चात्तापस्य बुध्दिर्भवति यादृशी । तादृशी यदि पूर्वास्यात् कस्य स्यान्न महोदयः ॥
अर्थ : गलती करने पर जो पछतावा होता है, यदि ऐसी बुध्दि गलती करने से पहले आ जाए, तो भला कौन उन्नति नहीं करेगा और किसे पछताना पडेगा ?
या पानाची मजकूर तुम्ही कॉपी करू शकत नाही.