🚩 आजचे सुभाषित
जीवन्तं मृतवन्मन्ये देहिनं धर्मवर्जितम् । मृतो धर्मेण संयुक्तो दीर्घजीवी न संशयः॥
अर्थ : जो मनुष्य अपने जीवन में कोई भी अच्छा काम नहीं करता, ऐसा धर्महीन मनुष्य ज़िंदा रहते हुए भी मरे के समान है । जो मनुष्य अपने जीवन में लोगों की भलाई करता है और धर्म संचय कर के मर जाता है, वे मृत्यु के बाद भी यश से लम्बे समय तक जीवित रहता है ।