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आजचे सुभाषित

उत्पन्न पश्चात्तापस्य बुध्दिर्भवति यादृशी । तादृशी यदि पूर्वास्यात् कस्य स्यान्न महोदयः ॥ अर्थ : गलती करने पर जो पछतावा होता है, यदि ऐसी बुध्दि गलती करने से पहले आ जाए,…

आजचे सुभाषित, ५ जुलै

मूलं भुजङ्गैः शिखरं प्लवङ्गैः। शाखा विहङ्गैः कुसुमानि भृङ्गैः। आसेव्यते दुष्टजनैः समस्तै र्न चन्दनं मुञ्चति शीतलत्वम्।। अर्थ : चन्दन के मूल में सर्प रहते हैं, शिखर पर बन्दर रहते हैं,शाखाओं पर…

आजचे सुभाषित ०४ जुलै २०२०

सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्। विबुद्दे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।। अर्थ : हे प्रभु आपके जगने से पूरी सृष्टि जग जाती है और आपके सोने से पूरी सृष्टि, चर…

आजचे सुभाषित

दि. २९ जून २०२०, सोमवार देहेऽस्थिमांसरुधिरेऽभिमतिं त्यज त्वं जायासुतादिषु सदा ममतां विमुञ्च। पश्यानिशं जगदिदं क्षणभङ्गनिष्ठं वैराग्यरागरसिको भव भक्तिनिष्ठः॥ अर्थ : अस्थि, मांस और रुधिर आदि पदार्थों से बने हुए इस…

आजचे सुभाषित, २५ जून २०२०

दुर्लभं त्रयमेवैतदेवानुग्रहेतुकम् | मनुष्यत्वं मुमुक्षुत्वं महापुरुषसंश्रय: || अर्थ : भगवत्कृपा ही जिनकी प्राप्ति का कारण है | ये मनुष्यत्व, मुमुक्षुत्व और महान पुरुषो का संग-ये तीनो भगवत्कृपा के बीना दुर्लभ…

आजचे सुभाषित, २२ जून २०२०

आचारः फलते धर्ममाचारः फलते धनम् ।आचाराच्छ्रियमाप्नोति आचारो हन्त्यलक्षणम्॥ अर्थ : आचार ही धर्मको सफल बनाता है, आचार ही धनरूपी फल देता है, आचारसे मनुष्यको सम्पत्ति प्राप्त होती है और आचार…

आजचे सुभाषित, १७ जून २०२०

आजचे सुभाषित, १७ जून २०२० आचारः फलते धर्ममाचारः फलते धनम् ।आचाराच्छ्रियमाप्नोति आचारो हन्त्यलक्षणम्॥ अर्थ : आचार ही धर्मको सफल बनाता है, आचार ही धनरूपी फल देता है, आचारसे मनुष्यको सम्पत्ति…

आजचे सुभाषित, १६ जून २०२०, मंगळवार स्थानभ्रष्टाः न शोभन्ते दन्ताः केशाः नखा नराः।इति विज्ञाय मतिमान् स्वस्थानं न परित्यजेत्॥ अर्थ : जिस प्रकार मनुष्य के दांत, केश, नाखून इत्यादि अपने निश्चित…

आजचे सुभाषित, १० जून २०२०

आजचे सुभाषित, १० जून २०२० जयेश्वराणां परमेश केशव प्रभो गदाशंखधरासिचक्रधृक् । प्रसूतिनाशस्थितिहेतुरीश्वर-स्त्वमेव नान्यत्परमं च यत्पदम् ॥ अर्थ : हे ब्रह्मादि ईश्वरोंके भी परम ईश्वर! हे केशव!हे शंख गदाधर! हे चक्रधारी…

आजचे सुभाषित

आजचे सुभाषित नास्ति सत्यसमो धर्मो न सत्याद्विद्यते परम् ।न हि तीव्रतरं किञ्चिदनृतादिह विद्यते ॥ सत्य जैसा अन्य धर्म नहीं । सत्य से पर कुछ नहीं। असत्य से ज्यादा तीव्रतर कुछ…

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