मूलं भुजङ्गैः शिखरं प्लवङ्गैः। शाखा विहङ्गैः कुसुमानि भृङ्गैः। आसेव्यते दुष्टजनैः समस्तै र्न चन्दनं मुञ्चति शीतलत्वम्।।
अर्थ :
चन्दन के मूल में सर्प रहते हैं, शिखर पर बन्दर रहते हैं,
शाखाओं पर पक्षी तथा पुष्पों
पर भ्रमर रहते हैं, इस प्रकार चन्दन समस्त दुष्ट प्राणियों से
सेवित होता है, परंतु फिर भी
अपनी शीतलता को नहीं छोड़ता।